लखनऊ, 28 जनवरी। समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव शनिवार को यहां गोमती नदी के किनारे मां पीताम्बरा मंदिर में चल रहे मां पीताम्बरा 108 महायज्ञ में शामिल होने पहुंचे, जहां हिन्दू महासभा, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के साथ ही हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने उनका जमकर विरोध किया और उन्हें काले झंडे भी दिखाए।
बीजेपी के लोग दलितों और पिछड़ों को शुद्र मानते हैं। उन्हें तकलीफ है कि हम उनके धार्मिक स्थान पर क्यों जा रहे हैं गुरु और संतों से आशीर्वाद लेने।
आज हमारी सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया भाजपा के लोग याद रखें समय बदलेगा तो उनके लिए भी ऐसी ही व्यवस्था होगी।
-श्री अखिलेश यादव जी, लखनऊ pic.twitter.com/AOXyKczyS0
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) January 28, 2023
हिन्दू संगठनों के इस विरोध प्रदर्शन से नाराज अखिलेश यादव ने आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा ने यहां गुंडे भेजे थे, भाजपा धर्म की ठेकेदार नहीं हो सकती है। अखिलेश यादव ने बाद में ट्वीट करते हुए कहा, “आज भी कुछ लोग ‘मंदिर-प्रवेश’ का अधिकार हर किसी को नहीं देना चाहते हैं। सच तो ये है कि जो किसी को मंदिर जाने से रोके, वो अधर्मी है क्योंकि वो धर्म के मार्ग में बाधा बन रहा है।”
आज भी कुछ लोग ‘मंदिर-प्रवेश’ का अधिकार हर किसी को नहीं देना चाहते हैं। सच तो ये है कि जो किसी को मंदिर जाने से रोके, वो अधर्मी है क्योंकि वो धर्म के मार्ग में बाधा बन रहा है। pic.twitter.com/xsAOFYkkIf
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) January 28, 2023
सपा अध्यक्ष अखिलेश ने प्रशासन व पुलिस पर भी आरोप लगाया और कहा कि प्रशासन ने पहले ही यहां से पुलिस और पीएसी हटा ली थी। उन्होंने कहा, ‘भाजपा के लोग किसी के भी साथ दुर्व्यवहार कर सकते हैं। भाजपा के लोगों को इस बात की तकलीफ है कि हम गुरु और संतों से आशीर्वाद लेने क्यों जा रहे हैं।’
इस दौरान अखिलेश ने स्वामी प्रसाद मौर्य के बारे में भी बात की और कहा, ‘मैंने स्वामी प्रसाद मौर्य से कहा है कि वे जाति आधारित जनगणना को लेकर आंदोलन में आगे बढ़ें।’ हालांकि अखिलेश ने रामचरित मानस को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर कुछ नहीं कहा और चुप्पी साध ली।
गौरतलब है कि अखिलेश यादव का हिन्दू संगठनों द्वारा विरोध भी स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरित मानस को लेकर की गई विवादित टिप्पणी के कारण ही था। दरअसल रामचरित मानस पर टिप्पणी करते हुए सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था, ‘रामचरित मानस में दलितों और महिलाओं का अपमान किया गया है। तुलसीदास ने इसे अपनी खुशी के लिए लिखा था। करोड़ों लोग इसे नहीं पढ़ते।’