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वाराणसी से पीएम मोदी के बाद भाजपा के चुनाव संयोजक सुरेंद्र नारायण ने भी किया नामांकन

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वाराणसी, 14 मई। वाराणसी संसदीय क्षेत्र से मंगलवार को  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नामांकन के बाद भाजपा के पूर्व विधायक और लोकसभा चुनाव के संयोजक सुरेंद्र नारायण सिंह औढ़े ने भी एक सेट में पर्चा दाखिल किया है। सुरेंद्र नारायण के नामांकन को लेकर हालांकि भाजपा की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन माना जा रहा है कि बतौर डमी प्रत्याशी उन्होंने अपना पर्चा भरा है जबकि पीएम मोदी ने दो सेट में अपना नामांकन फार्म भरा था।

पीएम मोदी सहित 41 प्रत्याशी मैदान में, अंतिम दिन 27 पर्चे दाखिल

इस बीच पीएम मोदी सहित कुल 27 प्रत्याशियों ने मंगलवार को नामांकन के छठे व अंतिम दिन पर्चा भरा। इनमें पीएम मोदी और भाजपा के दूसरे उम्मीदवार सुरेंद्र नारायण के अलावा ज्यादातर निर्दलीयों के पर्चे शामिल थे। इसी क्रम में लगातार तीसरी बार वाराणसी से कांग्रेस प्रत्याशी व मौजूदा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय की पत्नी रीना राय ने भी निर्दलीय के तौर पर अंतिम दिन नामांकन दाखिल किया। ऐसे में अब यहां 41 प्रत्याशी हो गए हैं।

पीएम मोदी के मुख्य प्रतिस्पर्धी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय होंगे

लोकसभा चुनाव के सातवें व अंतिम चरण में एक जून को वाराणसी सहित कुल 57 सीटों पर होने वाले मतदान के लिए नामांकन दाखिल करने वाले प्रत्याशियों के पर्चों की जांच बुधवार (15 मई) को होनी है। नाम वापसी के लिए निर्धारित अंतिम तिथि 17 मई के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी कि वाराणसी में कुल कितने प्रत्याशी चुनाव मैदान में रहेंगे। वैसे पीएम मोदी का मुख्य मुकाबला स्थानीय कद्दावर नेता अजय राय से होना है। अजय राय पिछले दो चुनाव में भी पीएम मोदी के हाथों बड़े अंतर से परास्त हुए थे।

आमतौर पर बड़े नेताओं की सीट पर अधिकृत प्रत्याशियों के साथ ही पार्टियां डमी प्रत्याशी भी उतारती रही हैं। यदि अधिकृत प्रत्याशी के फॉर्म में कोई गड़बड़ी आ जाए या किसी अन्य तरह की दिक्कत हो और उसका पर्चा खारिज हो जाए तो डमी प्रत्याशी चुनाव लड़ने के लिए तैयार रखा जाता है। पीएम मोदी के नामांकन के साथ भी भाजपा की तरफ से डमी प्रत्याशी का नामांकन चर्चा का विषय बना हुआ है। माना जा रहा है कि नामांकन पत्रों की जांच के बाद सबकुछ ठीक ठाक रहने पर सुरेंद्र नारायण का पर्चा वापस हो जाएगा।

ज्यादा सुविधाओं के लिए भी उतरते रहे हैं डमी प्रत्याशी

विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान कई बार राजनीतिक दल जान बूझकर भी चुनाव आयोग से सुविधाएं लेने के लिए डमी प्रत्याशियों को उतारते रहते हैं। आयोग की तरफ से हर प्रत्याशी के लिए खर्च की सीमा तय की गई है। इसके साथ ही यह भी तय है कि उसे कितनी गाड़ियों का पास मिलेगा। एक प्रत्याशी कितने एजेंट बना सकता है। सभी चीजों की सीमाएं तय हैं। डमी प्रत्याशी खड़ा करने पर हर चीज दोगुनी मिल जाती है। डमी प्रत्याशी भी मुख्य प्रत्याशी के पक्ष में ही प्रचार करता है। हालांकि वाराणसी में ऐसी स्थिति नहीं है।