पटना, 3 जुलाई। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में कथित ‘लैंड फॉर जॉब’ घोटाला मामले में आरोप पत्र दाखिल किया है। आरोप पत्र में बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और कम्पनियों समेत कई अन्य लोगों के नाम आरोपित के तौर पर शामिल हैं।
नौकरी के बदले जमीन घोटाले से संबंधित मामले में पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव और कई अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया है। उल्लेखनीय है कि विपक्षी दलों की एकता मीटिंग से पहले तेजस्वी यादव ने 14 जून को आशंका जताई थी कि उनका नाम भी चार्जशीट में जोड़ा जा सकता है।
कैसे हुआ लैंड फॉर जॉब घोटाला?
यह पूरा मामला उस वक्त का है, जब 2004 से 2009 के बीच लालू प्रसाद यादव यूपीए सरकार में रेल मंत्री थे। आरोप है कि लालू के रेल मंत्री रहते हुए रेलवे भर्ती में घोटाला हुआ। बताया गया है कि नौकरी लगवाने के बदले आवेदकों से जमीन और प्लॉट लिए गए। सीबीआई ने इस मामले में जांच के बाद लालू प्रसाद यादव और उनकी बेटी मीसा भारती के खिलाफ मामला दर्ज किया। आरोप है कि जो जमीनें ली गईं, वो राबड़ी देवी और मीसा भारती के नाम पर भी ली गईं।
आरोप है कि 2004 से 2009 की अपने कार्यकाल के दौरान, लालू प्रसाद यादव ने उम्मीदवारों से रेलवे के अलग-अलग जोन में ग्रुप डी की नौकरी के बदले अपने परिवार के लोगों के नाम पर जमीन ली थी और फायदा उठाया था। इसमें तो पटना के रहने वाले कई लोगों ने खुद या अपने परिवार के सदस्यों के जरिए लालू यादव के परिवार के सदस्यों और उनके परिवार के नियंत्रित एक निजी कम्पनी के पक्ष में पटना में मौजूद अपनी जमीन बेची थी, वे ऐसी अचल संपत्तियों के ट्रांसफर में भी शामिल थे।
रेलवे भर्ती के लिए जारी नहीं हुआ था विज्ञापन
रेलवे में भर्ती के लिए कोई विज्ञापन या कोई सार्वजनिक नोटिस जारी नहीं किया गया था। फिर भी जो पटना के निवासी थे… उन्हें मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में स्थित अलग-अलग जोनल रेलवे में सब्स्टिट्यूट के तौर पर नियुक्त किया गया था। सीबीआई के मुताबिक इस मामले में पटना में 1,05,292 फुट जमीन लालू प्रसाद यादव के परिवार के सदस्यों ने विक्रेताओं को नकद भुगतान कर हासिल की थी।