इस्लामाबाद, 3 अक्टूबर। आर्थिक तंगी से बुरी तरह जूझ रहे पाकिस्तान को आईएमएफ और सऊदी अरब के बाद अब उसके खास दोस्त चीन से भी दुत्कार मिली है। दरअसल, चीन अब पाकिस्तान व चीन की दोस्ती का मिसाल माने जाने वाले चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) का आगे विस्तार नहीं करना चाहता। पाकिस्तान के लगातार अनुरोध के बावजूद ड्रैगन ने सीपीईसी परियोजना में नया निवेश करने से इनकार कर दिया है। दोनों देशों के बीच हाल ही में हुई एक बैठक के बाद यह खबर सामने आई है।
500 किलोवोल्ट ट्रांसमिशन लाइन बनाने का पाकिस्तानी प्रस्ताव भी अस्वीकार
पाकिस्तान चाहता था कि चीन सीपीईसी के तहत ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन, बिजली पारेषण और पर्यटन से संबंधित और अधिक परियोजनाएं जोड़े। हालांकि, चीन ने इसमें कोई उत्साह नहीं दिखाया। चीन ने ग्वादर बंदरगाह से कराची में राष्ट्रीय बिजली ग्रिड तक 500 किलोवोल्ट ट्रांसमिशन लाइन बनाने के पाकिस्तान के प्रस्ताव को भी अस्वीकार कर दिया।
इसके अलावा, चीन ने ग्वादर से 300 मेगावाट के कोयला आधारित बिजली संयंत्र को किसी अन्य स्थान पर ट्रांसफर करने की पाकिस्तान की याचिका पर भी विचार करने से इनकार कर दिया। पाकिस्तान की योजना चीन से आयातित कोयले की बजाय नए स्थान पर घरेलू उत्पादित कोयले का उपयोग करने की थी।
पाकिस्तान के प्रति इसलिए है चीन का ये रुख
विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान में अधिक निवेश न करने की चीन के इरादों के पीछे कई कारण हो सकते हैं। पाकिस्तान में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति और लगातार राजनीतिक अस्थिरता भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकती है। पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के सत्ता से हटने के बाद अप्रैल, 2022 में उनकी सरकार गिरा दी गई। तभी से यहां बड़े पैमाने पर नागरिक अशांति और शक्तिशाली सेना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया।
चीन के लिए दूसरी सबसे बड़ी चिंता सुरक्षा है। सिंगापुर में एस. राजारत्नम स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के एक वरिष्ठ फेलो जेम्स एम. डोर्सी ने निक्केई एशिया के हवाले से कहा, ‘चीनी मानते हैं कि पाकिस्तान में उनके कर्मियों और संपत्तियों की सुरक्षा खतरे में है।’ पूरे पाकिस्तान में बढ़ते आतंकी हमलों ने ऐसी चिंताओं को और बढ़ा दिया है।
संकटग्रस्त देश में निवेश से रिटर्न मिलने का अब चीन को भरोसा नहीं
कुछ विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि चीन को अब विश्वास नहीं है कि संकटग्रस्त देश में निवेश से कोई रिटर्न मिलेगा। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था लगातार कर्ज संकट से जूझ रही है और देश 1.2 अरब डॉलर भुगतान करने के लिए संघर्ष कर रहा है। मीडिया खबरों की मानें तो पाकिस्तानी सरकार को अब भी इस बात की आशा है चीन अगले साल जनवरी में चुनाव खत्म होने के बाद सीपीईसी निवेश फिर से शुरू करेगा।