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डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ बढ़ाने की चेतावनी के बाद बोले एस जयशंकर – ‘अभी ब्रिक्स करेंसी के लिए कोई प्रस्ताव नहीं’

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दोहा/नई दिल्ली, 7 दिसम्बर। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने शनिवार को कतर में कहा कि अमेरिकी डॉलर से प्रतिस्पर्धा करने के लिए नई मुद्रा शुरू करने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है। दोहा फोरम में भाग लेने के लिए कतर गए जयशंकर की यह टिप्पणी अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ब्रिक्स सदस्य देशों से, जिनमें भारत, रूस और चीन जैसी प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं, यह मांग करने के एक सप्ताह बाद आई है कि वे नई मुद्रा नहीं बनाएंगे या डॉलर की जगह लेने वाली किसी अन्य मुद्रा का समर्थन नहीं करेंगे।

ब्रिक्स देशों की डी-डॉलराइजेशन नीति की चर्चा पर ट्रंप ने दी थी धमकी

उल्लेखनीय है कि ट्रंप ने धमकी दी थी कि यदि ब्रिक्स सदस्य डी-डॉलराइजेशन नीति शुरू करते हैं या अमेरिकी डॉलर से दूर जाते हैं तो वे 100 प्रतिशत टैरिफ लगा देंगे। ब्रिक्स देशों द्वारा ब्रिक्स मुद्रा पर आगे बढ़ने पर 100 प्रतिशत शुल्क लगाने के बारे में ब्रिक्स देशों को ट्रंप की हालिया चेतावनी का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा, ‘मुझे ठीक से पता नहीं है कि इसके (ट्रंप की टिप्पणी) पीछे क्या कारण था, लेकिन हमने हमेशा कहा है कि भारत कभी भी ‘डी-डॉलराइजेशन’ (देशों द्वारा अमेरिकी डॉलर पर आरक्षित मुद्रा, विनिमय माध्यम के तौर पर निर्भरता कम करने) के पक्ष में नहीं रहा है। अभी, ब्रिक्स मुद्रा का कोई प्रस्ताव नहीं है।’

जयशंकरने यह भी बताया कि ब्रिक्स मुद्रा के मुद्दे पर ब्रिक्स देशों का रुख एक जैसा नहीं है। उन्होंने कहा, ‘हमारे पिछले ट्रंप प्रशासन के साथ अच्छे संबंध थे, बहुत ठोस संबंध थे। हां, कुछ मुद्दे थे, ज्यादातर व्यापार से संबंधित मुद्दे थे। लेकिन बहुत सारे मुद्दे ऐसे थे, जिन पर ट्रंप बहुत अंतरराष्ट्रीय थे और मैं लोगों को याद दिलाता हूं कि वास्तव में ट्रंप के कार्यकाल में ही क्वाड को फिर से शुरू किया गया था।’

‘पीएम मोदी और ट्रंप के बीच निजी संबंध हैं

विदेश मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति चुने गए ट्रंप के बीच व्यक्तिगत संबंधों का भी उल्लेख किया, जिसने दोनों देशों के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंधों में योगदान दिया है। उन्होंने कहा, ‘पीएम मोदी और ट्रंप के बीच निजी संबंध हैं। जहां तक ​​ब्रिक्स की टिप्पणियों का सवाल है, हमने कहा है कि भारत कभी भी डी-डॉलराइजेशन के पक्ष में नहीं रहा है, अभी ब्रिक्स मुद्रा रखने का कोई प्रस्ताव नहीं है। ब्रिक्स वित्तीय लेन-देन पर चर्चा करता है… अमेरिका हमारा सबसे बड़ा व्यापार साझेदार है, हमें डॉलर को कमजोर करने में कोई दिलचस्पी नहीं है।’

अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति ने कहा था, ‘वे कोई दूसरा ‘मूर्ख’ ढूंढ सकते हैं। इस बात की कोई संभावना नहीं है कि ब्रिक्स अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अमेरिकी डॉलर की जगह ले लेगा और जो भी देश ऐसा करने की कोशिश करेगा, उसे अमेरिका को अलविदा कह देना चाहिए।’

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