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कोविशील्ड के बाद कोवैक्सीन के भी दुष्प्रभाव सामने आए, BHU के शोधार्थियों का खुलासा

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नई दिल्ली, 16 मई। एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड की कोविड-19 रोधी वैक्सीन कोविशील्ड (Covishield) के संभावित दुष्प्रभावों को लेकर हो हल्ला चल ही रहा था कि अब कोवैक्सीन (Covaxin) लेने वाले लोगों में भी साइड इफेक्ट की खबरें सामने आ रही हैं। दरअसल, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) के शोधार्थियों ने खुलासा किया है कि कोवैक्सीन लेने वालों में भी एक तिहाई को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ा।

उल्लेखनीय है कि Covaxin बनाने वाली कम्पनी भारत बायोटेक, हैदराबाद ने पिछले दिनों एक बयान जारी कर कहा था कि उसकी वैक्सीन के सुरक्षा रिकॉर्ड शानदार रहे हैं। कम्पनी ने कहा था कि उसकी वैक्सीन से खून के थक्के, प्लेटलेट की कमी जैसे दुष्प्रभाव सामने नहीं आए हैं।

कोवैक्सीन लेने वालों में एक तिहाई पर AESI का प्रभाव देखने को मिला

फिलहाल बीएचयू के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन में भारत बायोटेक की कोवैक्सीन टीके के दीर्घकालिक प्रभावों की जांच में यह खुलासा हुआ है कि लगभग एक-तिहाई लोगों पर ‘Adverse events of special interest (AESI) प्रभाव देखने को मिला है।

926 लोगों पर किए गए शोध का निष्कर्ष

स्टडी रिपोर्ट में कहा गया है कि अध्ययन के लिए चुने गए 926 प्रतिभागियों में से लगभग एक-तिहाई लोगों में ऊपरी सांस की नली में वायरल संक्रमण सबसे आम शिकायत है। इसके अलावा लोगों में ब्लड क्लॉटिंग और एलर्जी के भी प्रभाव देखने को मिले हैं। एक फीसदी व्यक्तियों में स्ट्रोक और गुइलेन-बैरी सिंड्रोम जैसे गंभीर AESI की सूचना भी मिली है।

जनवरी, 2022 से अगस्त, 2023 के बीच की गई स्टडी

यह अध्ययन जनवरी, 2022 से अगस्त, 2023 के बीच किया गया था। इसके तहत वैसे 635 किशोरों और 291 वयस्क लोगों को शामिल किया गया था, जिन्होंने भारत बायोटेक की कोवैक्सीन वैक्सीन ली थी। स्टडी के दौरान किशोरों में स्किन और नर्व से संबंधित कई गड़बड़ियां और बीमारियां पाई गईं, जबकि वयस्कों में मस्कुलोस्केलेटल डिजॉर्डर के साथ-साथ तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) से जुड़े और कई सामान्य गड़बड़ियां पाईं गईं।

महिलाओं पर भी टीके का बुरा प्रभाव देखने को मिला

मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि इस अध्ययन में शामिल महिलाओं पर भी टीके का बुरा प्रभाव देखने को मिला है। अध्ययन में पाया गया कि महिलाओं और किशोर लड़कियों में टीका लेने के बाद उनमें टाइफाइड होने का खतरा बढ़ गया है। गौरतलब है कि कोविड महामारी के दौरान भारत में विशेष रूप से कोविडशील्ड और कोवैक्सीन ही लोगों को लगाई गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कोवैक्सीन की दो डोज ली थी।

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