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जेल से रिहा होने के बाद आजम खान की पत्नी तजीन फातिमा बोलीं – ‘हमारे खिलाफ सुनियोजित षड्यंत्र’

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रामपुर, 29 मई। बेटे अब्दुल्ला आजम के दो जन्म प्रमाणपत्र मामलें में रामपुर जेल से रिहा होने के बाद कद्दावर सपा नेता आजम खान की पत्नी डॉ. तजीन फातिमा फातिमा ने उनके खिलाफ सुनियोजित षडयंत्र का आरोप लगाया है, जिसमें सरकार, पुलिस और प्रशासन सबकी मिलीभगत है।

गौरतलब है कि आजम खान, पत्नी तजीन और बेटे अब्दुल्ला आजम खान को रामपुर के एमपी-एमएलए कोर्ट ने दो जन्म प्रमाणपत्र मामले में 18 अक्टूबर, 2023 को सजा सुनाई थी। इस मामले में कोर्ट ने आजम खान को सात साल की सजा और 50 हजार रुपये जुर्माना अदा करने की सजा सुनाई थी। वहीं, तजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को सात-सात साल की सजा सुनाई थी। लेकिन हाई कोर्ट ने गत 24 मई को डॉ. तजीन जमानत मंजूर की थी और रामपुर जेल में आठ माह 11 दिन से बंद रहने के बाद वह बुधवार को रिहा हुईं।

डॉ. तजीन फातिमा ने कहा, ‘जिस माहौल में हमें सजा पर सजा दी जा रही है, वो सुनियोजित षड्यंत्र है, जिसमें सभी लोग बराबर से शामिल रहे हैं। यहां तक की पुलिस, प्रशासन, सरकार और मीडिया से भी हमें शिकायत है कि उन्होंने कभी सच्चाई को सामने लाने की कोशिश नहीं की।’

‘सारे सबूत सामने थे, लेकिन अदालत ने संज्ञान नहीं लिया

उन्होंने कहा, ‘जिस मुकदमे में हमें सजा दी गई, उसमें सारे सबूत सामने थे। यहां तक कि मैं सरकारी नौकरी में थी, मेरी मेटरनिटी लीव भी मौजूद है, जिसे नजर अंदाज किया गया। वीडियो एविडेंस और फोरेंसिक एविंडेंस भी है, जिसमें दो साल के अब्दुल्ला को मेरी गोद में दिखाया गया। इसे कोर्ट में भी पेश किया गया, लेकिन कोर्ट ने इसका भी सज्ञान नहीं लिया।’

राज्यसभा की सदस्य रह चुकीं तजीन फातिमा ने कहा, ‘जेल में रहते हुए मुझे कोई परेशानी तो नहीं हुई, लेकिन जब इंसाफ ही नहीं मिला तो दिक्कतों का क्या है? कितनी दिक्कतें रास्ते में आईं, हम तो झेल ही रहे हैं।’ आजम परिवार पर दर्ज मुकदमों को लेकर उन्होंने कहा कि ये आरोप पर आरोप तय कर रहे हैं, लेकिन जब सच्चाई सामने आएगी तो इसमें कुछ नहीं निकलेगा।

‘अदालतें निष्पक्ष नहीं हैं..उनपर दबाव पड़ रहा है

इस बार के लोकसभा चुनाव में संविधान को खत्म करने का मुद्दा भी विपक्ष द्वारा जोर-शोर से उठाया जा रहा है, इसे लेकर जब आजम खान की पत्नी से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि ये संविधान को नुकसान पहुंचाना ही है। संविधान में निष्पक्ष न्यायपालिका की व्यवस्था की गई है। लेकिन, न्यायपालिका को दबाया जा रहा है। अदालतें निष्पक्ष नहीं हैं..उनपर दबाव पड़ रहा है। वो स्वतंत्र नहीं है। ये एक तरह से संविधान को कमजोर करने की कोशिश ही है।