Site icon hindi.revoi.in

अमेरिका के बाद अब चीन ने भी मंगल ग्रह पर उतारा अपना रोवर, ‘झुरोंग’ 90 दिनों तक लाल ग्रह पर रहेगा

Social Share

बीजिंग, 15 मई। चीन ने अपने अंतरिक्ष विज्ञान के इतिहास में शनिवार को नए अध्याय का सृजन किया, जब उसका रोवर मंगल ग्रह पर सफलता पूर्वक उतर गया। ‘झुरोंग’ नाम का यह रोवर भोर में पांच बजे के करीब लाल ग्रह की सतह पर उतरा। इसके साथ ही अमेरिका के बाद यह कीर्तिमान बनाने वाला चीन दुनिया का दूसरा देश बन गया है।

चीन ने पिछले वर्ष जुलाई में तियानवेन-1 मिशन मंगल की तरफ भेजा था, जिसने लाल ग्रह की सतह पर उतरने से पहले तीन माह तक उसका चक्कर लगाया।

एक रिपोर्ट के अनुसार तियानवेन-1 लैंडर अपने साथ झुरोंग रोवर को लेकर मंगल ग्रह की सतह की ओर बढ़ा। ये दोनों अपने ऑर्बिटर से अलग हुए। इसके बाद झुरोंग मंगल ग्रह के यूटोपिया प्लैनिशिया इलाके में उतरा। यह मंगल ग्रह के उत्तरी गोलार्ध में उल्कापिंड की टक्कर से बनी घाटी में स्थित है।

चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (सीएनएसए) ने शुरुआत में अपनी लैंडिंग की सफलता की खबर आधिकारिक रूप से नहीं बताई थी। सबसे पहले चीनी सरकारी मीडिया सीजीटीएन ने इसकी जानकारी दी। माना जा रहा है कि रोवर को मंगल ग्रह पर 90 दिन व्यतीत करने हैं, जो धरती के 93 दिनों के बराबर होते हैं। मंगल ग्रह पर दिन धरती के दिन से 40 मिनट लंबा होता है।

झुरोंग एक छह पहिये वाला रोवर है। यह लाल ग्रह पर जमीनी अध्ययन करेगा जबकि ऑर्बिटर उसके चारों तरफ चक्कर लगाता रहेगा। ऑर्बिटर को 687 दिन चक्कर लगाने का मिशन दिया गया है जबकि लैंडर का काम झुरोंग और ऑर्बिटर के बीच संपर्क स्थापित करना रहेगा। वहीं, ऑर्बिटर के जरिए धरती से भी संपर्क साधा जाएगा।

गौरतलब है कि नासा का वाइकिंग-2 वर्ष 1976 में इसी जगह पर उतरा था। हालांकि चीन ने भी यिंगहुओ-1 नामक अपना पहला मंगल मिशन 2011 में लॉन्च किया था। लेकिन वह मिशन विफल हो गया था।

चीन और अमेरिका के अलावा सोवियत यूनियन ही ऐसा देश था, जिसने मंगल ग्रह पर लैंडर भेजा था, लेकिन वह असफल था। लैंडिंग से कुछ मिनट पहले ही स्पेसक्राफ्ट फेल हो गया था। यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने भी मंगल ग्रह पर दो बार लैंडिंग का प्रयास किया है। लेकिन दोनों स्पेसक्राफ्ट मंगल ग्रह पर ध्वस्थ हो गए थे।

Exit mobile version