अहमदाबाद, 4 दिसम्बर। गुजरात में विधानसभा चुनाव के दूसरे व अंतिम चरण के लिए भी प्रचार थम गया है, जहां सोमवार को वोटिंग होनी है। राज्य में भाजपा और कांग्रेस के अलावा पहली बार आम आदमी पार्टी सामने दिख रही है।
कई मुस्लिम बहुल सीटों पर बढ़ गया है सस्पेंस
इस बीच भाजपा, कांग्रेस व ‘आप’ के त्रिकोण में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम की एंट्री से कई मुस्लिम बहुल सीटों पर सस्पेंस बढ़ गया है। अहमदाबाद सिटी की जमालपुर खड़िया सीट भी ऐसी ही है, जहां ओवैसी की एंट्री से मुख्य रूप से कांग्रेस की मुश्किल बढ़ती नजर आ रही है। यहां से AIMIM ने कांग्रेस के पूर्व विधायक साबिर काबलीवाला को उतारा है। उन्होंने 2012 में निर्दलीय चुनाव लड़ा था, जिसकी वजह से भाजपा की जीत हुई थी।
2012 में साबिर काबलीवाली ने मुस्लिम वोटों में लगा दी थी सेंध
वर्ष 2012 के चुनाव में पूर्व विधायक साबिर काबलीवाला ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था और कांग्रेस के समीर खान सिपाई हार गए थे। साबिर ने मुस्लिम वोटों में सेंध लगा दी थी। इसी वजह से भाजपा प्रत्याशी भूषण भट की जीत हुई थी। लेकिन 2017 में कांग्रेस के इमरान खेडावाला ने जीत हासिल की। इस बार काबलीवाला चुनाव ही नहीं लड़े थे। फिलहाल इस बार काबलीवाला एआईएमआईएम के उम्मीदवार हैं।
हालांकि मौजूदा कांग्रेस विधायक खेड़ावाला ने दावा किया है कि एआईएमआईएम और आम आदमी पार्टी भाजपा की बी टीमें हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को पता है कि 2012 में काबलीवाला ने किस तरह से भाजपा की मदद की थी। काबलीवाला छइपा मुस्लिम समुदाय से तालुक रखते हैं। वहीं एआईएमआईएम को भी पता है कि मुस्लिम वोट बंट जाएंगे, जिसका फायदा भाजपा को होगा। इस सीट पर 45 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं। इस चुनाव में खेडावाला की असली चुनौती काबलीवाला ही बने हुए हैं।
13 सीटों पर लड़ रही उत्साहित एआईएमआईएम
ओवैसी के प्रत्याशी का कहना है कि पार्टी मुस्लिमों की समस्याएं सुनती है। 2021 में स्थानीय निकाय के चुनाव में चार वॉर्डों में ओवैसी की पार्टी को सफलता मिली थी। इसीलिए गुजरात की राजनीति में एआईएमआईएम का उत्साह बढ़ गया और इस बार 13 सीटों पर पार्टी चुनाव लड़ रही है।
काबलीवाला के पूर्व साथी भी उनपर लगा चुके हैं भाजपा से मिलीभगत का आरोप
काबलीवाला पर उनके पूर्व साथी भी आरोप लगा चुके हैं कि वह भाजपा के लिए काम करते हैं। हालांकि उन्होंने इन आरोपों से इनकार किया था। उन्होंने कहा था, ‘इस तरह के आरोप निराधार हैं। हमारी पार्टी लोगों के स्तर को ऊपर उठाने के लिए काम करती है। जो लोग एआईएमआईएम छोड़ चुके हैं वे कांग्रेस की मदद करते थे।’ उधर भाजपा के कार्यकर्ताओं का कहना है कि वे कांग्रेस और एआईएमआईएम दोनों को ही चुनौती नहीं मानते हैं।