नई दिल्ली, 14 नवम्बर। केंद्र सरकार ने हिंसा प्रभावित मणिपुर में जिरीबाम सहित पांच जिलों के छह पुलिस थाना क्षेत्रों में आर्म्ड फोर्सेज (स्पेशल पावर्स) एक्ट (AFSPA) फिर से लागू कर दिया है। गृह मंत्रालय की ओर से गुरुवार को जारी अधिसूचना में कहा गया है कि यह निर्णय वहां चल रही जातीय हिंसा के कारण लगातार अस्थिर स्थिति को देखते हुए लिया गया है।
गृह मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार जिन पुलिस थाना क्षेत्रों में AFSPA को फिर से लागू किया गया है, उनमें इम्फाल पश्चिम जिले के सेकमाई और लामसांग, इम्फाल पूर्व जिले के लामलाई, जिरीबाम जिले के जिरीबाम, कांगपोकपी जिले के लेइमाखोंग और बिष्णुपुर जिले के मोइरांग शामिल हैं।
जिरीबाम में सुरक्षा बलों से मुठभेड़ में मारे गए थे 11 उग्रवादी
इससे पहले मणिपुर के जिरीबाम जिले में सोमवार को वर्दीधारी और अत्याधुनिक हथियारों से लैस उग्रवादियों ने एक पुलिस थाने और उसके निकटवर्ती सीआरपीएफ शिविर पर अंधाधुंध गोलीबारी कर दी थी, जिस के बाद सुरक्षा बलों के साथ भीषण मुठभेड़ में 11 संदिग्ध उग्रवादी मारे गए थे। घटना के एक दिन बाद इसी जिले से सशस्त्र उग्रवादियों ने महिलाओं और बच्चों सहित छह नागरिकों का अपहरण कर लिया था।
इसलिए लगाया जाता है AFSPA
उल्लेखनीय है कि सशस्त्र बलों के संचालन को सुविधाजनक बनाने के लिए AFSPA के तहत किसी क्षेत्र या जिले को अशांत अधिसूचित किया जाता है। AFSPA अशांत क्षेत्रों में काम करने वाले सशस्त्र बलों को सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए तलाशी लेने, गिरफ्तार करने और गोली चलाने के व्यापक अधिकार देता है।
राज्य सरकार ने एक अक्टूबर को AFSPA लागू किया था
स्मरण रहे कि मणिपुर सरकार ने विगत एक अक्टूबर को पूरे राज्य में AFSPA लागू किया था, हालांकि इन पांच जिलों के छह थाना क्षेत्रों को इससे बाहर रखा गया था। अब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इन इलाकों में भी AFSPA लागू कर दिया है, जिसके लिए आज अधिसूचना जारी की गई। मणिपुर सरकार के उस आदेश में इम्फाल, लाम्फाल, सिटी, सिंगजामेई, सेकमाई, लामसांग, पटसोई, वांगोई, पोरोमपत, हेइंगंग, लामलाई, इरिलबुंग, लेइमाखोंग, थौबल, बिष्णुपुर, नाम्बोल, मोइरंग, काकचिंग और जिरीबाम को AFSPA से बाहर रखा गया था।
मैतेई और कुकी समुदाय के बीच पिछले वर्ष से जारी है जातीय हिंसा
गौरतलब है कि पिछले वर्ष मई से इम्फाल घाटी स्थित मैतेई और कुकी समुदाय के बीच शुरू हुई जातीय हिंसा में अब तक 200 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। जातीय रूप से विविधतापूर्ण जिरीबाम, इन संघर्षों से काफी हद तक अछूता रहा है, लेकिन इस वर्ष जून में एक खेत में किसान का शव पाए जाने के बाद यहां भी लगातार हिंसा हो रही है।