Site icon Revoi.in

अफगानिस्तान ने भारत से मांगी मदद, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाने की अपील

Social Share

नई दिल्ली, 4 अगस्त। तालिबान के बढ़ते आतंक से विचलित अफगानिस्तान ने भारत से आपात मदद मांगी है। इस क्रम में अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मोहम्मद हनीफ अत्मार ने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर को फोन कर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की आपातकालीन बैठक बुलाने का आग्रह किया है। ज्ञातव्य है कि भारत अगस्त माह में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष है और ऐसी किसी भी तरह की बैठक बुलाने में उसकी भूमिका अहम होगी।

तालिबान के जुल्म के खिलाफ बड़ा कदम उठाने की जरूरत

अफगान विदेश मंत्री ने भारतीय समकक्ष से वार्ता के बाद मंगलवार रात एक ट्वीट में यह जानकारी साझा की। उन्होंने लिखा, ‘भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से फोन कर बात की और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अफगानिस्तान पर सुरक्षा परिषद की आपातकालीन बैठक बुलाने की मांग की। संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को तालिबान की हिंसा और जुल्म के खिलाफ बड़ा कदम उठाने की जरूरत है। यूएनएससी में अध्यक्ष के रूप में हम भारत की प्रशंसा करते हैं।’

इस बीच अफगानी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, ‘मंगलवार शाम अफगान विदेश मंत्री और भारतीय विदेश मंत्री के बीच तालिबान की बढ़ती हिंसा, मानवाधिकारों के उल्लंघन के साथ अफगानिस्तान में विदेशी आतंकवादी समूह के ऑपरेशन पर बात हुई। हमने भारतीय विदेश मंत्री से अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपातकालीन बैठक बुलाने की मांग की है। भारत अभी यूएनएससी का अध्यक्ष है।’

अफगानी विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि भारतीय विदेश मंत्री ने अफगानिस्तान में बढ़ती हिंसा को लेकर चिंता जताई। जयशंकर यूएनएससी की आपातकालीन बैठक बुलाने के प्रस्ताव की समीक्षा कर रहे हैं और इसके लिए बाकी सदस्यों से बात करेंगे। दोनों विदेश मंत्रियों के बीच कतर के दोहा में अफगान शांति वार्ता के आयोजन पर भी बात हुई।

तालिबान को लेकर भारत की स्थिति दुविधा में

ज्ञातव्य है कि अफगानिस्तान संकट को लेकर भारत बड़ी दुविधा में है। भारत दरअसल, अफगानिस्तान में अशरफ गनी की सरकार के साथ है, लेकिन अब तालिबान को नजरअंदाज करना भी उसके लिए मुश्किल हो गया है। भारत ने अनाधिकारिक रूप से तालिबान से बातचीत भी देर से शुरू की और वह तालिबान को उसी तरह देखता रहा, जैसे अमेरिका उसे देखता था। चिंताजनक बात तो यह है कि तालिबान व चीन की नजदीकियां बढ़ रही हैं और तालिबान ने यह भी कहा है कि वह अफगानिस्तान की जमीन से चीन विरोधी किसी गतिविधि की अनुमति नहीं देगा।