नई दिल्ली, 20 अगस्त। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने तालिबानी कब्जे के बाद अफगानिस्तान के ताजा हालात को लेकर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से गुरुवार को बातचीत की और दोनों नेताओं ने इस मसले पर लगातार समन्वय स्थापित करने और संवाद जारी रखने का एक-दूसरे को भरोसा दिया है।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, ‘विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर के बीच बातचीत हुई। दोनों ने अफगानिस्तान के मसले पर चर्चा की और आगे भी समन्वय बनाकर काम करने का फैसला किया।’
गौरतलब है कि अमेरिकी सेनाओं के अफगानिस्तान से लौटते ही तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है। अब तालिबान जल्द ही अफगानिस्तान में अपनी सरकार बनाने जा रहा है। चूंकि अफगानिस्तान के पड़ोस में भारत है और भारत का वहां पर बड़ा निवेश है, ऐसे में अफगानिस्तान से जुड़े किसी भी मसले में भारत की अहम भूमिका रहती है।
वैश्विक समुदाय को आतंकियों के मददगार देशों के पाखंड का विरोध करना चाहिए
इसके पूर्व एस. जयशंकर ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि वैश्विक समुदाय को उन देशों के पाखंड का विरोध करना चाहिए, जो निर्दोषों के खून से हाथ रंगने वाले आतंकवादियों की रक्षा करते हैं।
उन्होंने किसी का नाम लिए बिना आतंकवादी समूहों को सहायता प्रदान करने में पाकिस्तान और चीन की भूमिकाओं की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा, ‘दुर्भाग्य से कुछ देश ऐसे भी हैं, जो आतंकवाद से लड़ने के हमारे सामूहिक संकल्प को कमजोर या नष्ट करना चाहते हैं। इसे पारित नहीं होने दिया जा सकता।’
पाकिस्तान और तालिबान का नाम लिए बिना एस. जयशंकर ने कहा, ‘जब हम देखते हैं कि निर्दोष लोगों के खून से हाथ रंगने वालों को राजकीय आतिथ्य दिया जा रहा है, तो हमें उनकी दोहरी बात पर टोकने का साहस करने से नहीं चूकना चाहिए। चाहे वह अफगानिस्तान में हो या भारत के खिलाफ, लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) जैसे समूह दंड से मुक्ति और प्रोत्साहन दोनों के साथ काम करना जारी रखते हैं।’