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नीति आयोग की ताजा रिपोर्ट : देश में पिछले 9 वर्षों में 24.82 करोड़ लोग ‘गरीबी’ रेखा से आए बाहर, यूपी शीर्ष पर

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नई दिल्ली, 15 जनवरी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिछले नौ वर्षों के कार्यकाल के दौरान देशभर में 24.82 करोड़ लोग बहुआयामी यानी स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवनस्तर के मामले में गरीबी रेखा से बाहर आए हैं। नीति आयोग ने सोमवार को अपनी ताजा रिपोर्ट रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि गरीबी में सबसे ज्यादा कमी उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में आई है।

2022-23 में बहुआयामी गरीबी घटकर 11.28 प्रतिशत रही

उल्लेखनीय है कि बहुआयामी गरीबी को स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवनस्तर में सुधार के जरिये मापा जाता है। नीति आयोग के परिचर्चा पत्र के अनुसार, देश में बहुआयामी गरीबी 2013-14 में 29.17 प्रतिशत थी, जो 2022-23 में घटकर 11.28 प्रतिशत रही। इसके साथ इस अवधि के दौरान 24.82 करोड़ लोग इस श्रेणी से बाहर आए हैं।

नीति आयोग ने कहा कि राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवनस्तर के मोर्चे पर स्थिति को मापती है। यह 12 सतत विकास लक्ष्यों से संबद्ध संकेतकों के माध्यम से दर्शाए जाते हैं। इनमें पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, मातृत्व स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने का ईंधन, स्वच्छता, पीने का पानी, बिजली, आवास, संपत्ति और बैंक खाते शामिल हैं।

आयोग का राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) गरीबी दर में गिरावट का आकलन करने के लिए ‘अलकायर फोस्टर पद्धति’ का उपयोग करता है। हालांकि, राष्ट्रीय एमपीआई में 12 संकेतक शामिल हैं जबकि वैश्विक एमपीआई में 10 संकेतक हैं।

उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 5.94 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले

राज्य स्तर पर, उत्तर प्रदेश में 5.94 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले और इस मामले में यह सूची में शीर्ष पर है। इसके बाद बिहार में 3.77 करोड़ और मध्य प्रदेश में 2.30 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले। इस अवधि के दौरान एमपीएस के सभी 12 संकेतकों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि नौ वर्षों में 24.82 लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर आए। यानी हर साल 2.75 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले। नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) बीवीआर सुब्रमण्यम ने कहा, ‘सरकार का लक्ष्य बहुआयामी गरीबी को एक प्रतिशत से नीचे लाना है और इस दिशा में सभी प्रयास किए जा रहे हैं।’

भारत गरीबी स्तर को इस वर्ष एकल अंक में लाने के लिए पूरी तरह से तैयार

परिचर्चा पत्र में कहा गया है कि भारत गरीबी स्तर को इस साल एकल अंक में लाने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इसमें कहा गया है कि 2013-14 से 2022-23 की अवधि के दौरान बहुआयामी गरीबी में गिरावट की दर तेज रही है। सरकार के विभिन्न कदमों और योजनाओं से यह संभव हुआ है। परिचर्चा पत्र के अनुसार, भारत 2030 से काफी पहले सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 1.2 (बहुआयामी गरीबी को कम-से-कम आधा करना) हासिल कर सकता है।