लखनऊ, 3 मार्च। यूपी विधानसभा सत्र में आज अदालत लगेगी, जिसमें विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना के मामले में छह पुलिसकर्मी कटघरे में खड़े होंगे। 2004 में हुए इस मामले में आज सदन में सुनवाई होगी। सुनवाई में अगर इन पुलिसकर्मियों को सजा सुनाई गई तो वहीं से इन्हें जेल भेजा जा सकता है। दरअसल, तत्कालीन क्षेत्राधिकारी अब्दुल समद, तत्कालीन थानाध्यक्ष ऋषिकांत शुक्ला, तत्कालीन उप निरीक्षक त्रिलोकी सिंह, तत्कालीन कांस्टेबल छोटेलाल यादव, विनोद मिश्र और मेहरबान सिंह को कारावास की सजा पर सुनवाई होगी।
सभी पुलिसकर्मियों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन से सम्बन्ध रखने वाले प्रस्ताव बीते गुरुवार को सदन में पारित कर दिया गया। जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने DGP से सभी दोषी पुलिसकर्मियों को आज यानी शुक्रवार को विधानसभा में पेश करने के निर्देश दिए थे। आज सदन में करीब 19 साल बाद इन पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई होने जा रही है।
- 2004 में धरने पर बैठे थे सतीश महाना
2004 की सपा सरकार में बिजली कटौती के मामले को लेकर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना कानपुर में धरने पर बैठे थे। उस समय पार्टी के तमाम विधायक व नेता उनके समर्थन में जा रहे थे तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया था। इसमें उस समय विधानसभा सदस्य रहे सलिल विश्नोई की टांग टूटी थी और वो महीनों बेड पर रहे।
इसके बाद उन्होंने 25 अक्टूबर 2004 को विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना की सूचना दी थी। सदन में करीब डेढ़ साल सुनवाई हुई जिसके बाद इन पुलिसकर्मियों को सर्वसम्मति से दोषी पाया गया था, लेकिन आज तक सजा नहीं हुई थी।