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गुजरात : 40 वर्ष पुराने केस में फंसे 9 जज, अवमानना से बचने के लिए हाई कोर्ट से मांगनी पड़ी माफी

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अहमदाबाद, 8 फरवरी। गुजरात हाई कोर्ट ने आणंद कोर्ट के नौ जजों के बिना शर्त माफी मांगने पर उन्हें अवमानना के मामले में राहत दी है। हाई कोर्ट ने इन जजों से कहा कि वे भविष्य में सिविल मामलों को दाखिल करने के संबंध में हाई कोर्ट और शीर्ष अदालत के महत्वपूर्ण अवलोकनों और निर्देशों का पालन करें। दरअसल, जमीन के विवाद में आणंद कोर्ट की तरफ से कोई काररवाई नहीं किए जाने पर याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इसमें नौ जजों को पार्टी बनाया गया था।

1977 का केस बना मुश्किल

पूरा मामला वर्ष 1977 में सामने आए जमीन के एक विवाद से जुड़ा हुआ है। इस मामले में हाई कोर्ट ने आणंद कोर्ट को निर्देश जारी किए थे। कोर्ट ने 31 दिसम्बर, 2005 की समय सीमा भी तय की थी, जब आणंद कोर्ट की तरफ इस मामले को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई तो 88 वर्षीय याचिकाकर्ता ने गुजरात हाई कोर्ट की शरण ली। इसमें उन्होंने 17 वर्षों से केस लंबित रहने का तथ्य हाई कोर्ट के समक्ष रखा और नौ जजों को इसमें पार्टी बनाया।

इसके बाद हाई कोर्ट ने कड़ा संज्ञान लेते हुए सर्कुलर जारी किया। हाई कोर्ट ने कहा कि उसके स्टे के फैसले हों, निर्देश हों या फिर कोई निर्धारित की गई समय सीमा। अगर किसी स्थिति में हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं हो पा रहा है तो अतिरिक्त समय की मांग कर सकते हैं।

दीवानी के केसों पर दें ध्यान

जजों ने हाई कोर्ट के सर्कुलर के बाद जब बिना शर्त माफी मांगी और भूल स्वीकार की तो फिर गुजरात हाई कोर्ट ने अवमानना की काररवाई रद कर दी। हाई कोर्ट ने कहा कि भविष्य में निचली अदालतों को आपराधिक मामलों के साथ दीवानी मामलों पर भी ध्यान देना चाहिए। जजों की माफी और हाई कोर्ट की सख्ती के बाद अब इस 40 वर्ष पुराने मामले के शीघ्र निस्तारण की उम्मीद जगी है।

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