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नामीबिया से विशेष बी747 विमान से आएंगे 8 चीते, पीएम मोदी अपने जन्मदिन 17 सितम्बर को करेंगे उनका स्वागत

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विंडहोक, 15 सितम्बर। नामीबिया ने भारत को भेंटस्वरूप जो आठ चीते दिए हैं, उन्हें मध्य प्रदेश के कुनो-पालपुर राष्ट्रीय उद्यान ले जाने के लिए एक विशेष बी747 विमान नामीबिया की राजधानी विंडहोक पहुंच गया है। भारत में 1950 के बाद से चीतों के विलुप्त होने के बाद उन्हें फिर से देश में बसाने की तैयारी की जा रही है। इसी कड़ी में नामीबिया से ये चीते लाए जा रहे हैं, जिनमें पांच मादा और तीन नर चीते हैं।

विंडहोक से जयपुर के रास्ते मध्य प्रदेश लाए जाएंगे चीते

विंडहोक में भारतीय उच्चायोग ने ट्वीट किया, ‘बाघ की भूमि भारत में सद्भावना राजदूतों को ले जाने के लिए वीरों की भूमि में एक विशेष विमान पहुंच गया है।’ चीतों के अंतर-महाद्वीपीय स्थानांतरण की परियोजना के तौर पर एक मालवाहक विमान से आठ चीते 17 सितंबर को राजस्थान के जयपुर ले जाए जाएंगे। इनमें पांच मादा और तीन नर चीते हैं। जयपुर से ये चीते हेलीकॉप्टर से मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में अपने नए बसेरे कुनो राष्ट्रीय उद्यान ले जाए जाएंगे।

चीतों को पीएम मोदी कुनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़ेंगे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितम्बर को अपने जन्मदिन पर मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में इन चीतों का स्वागत करेंगे। चीतों को कुछ दिनों तक कुनो-पालपुर राष्ट्रीय उद्यान में एक क्वारंटीन किए गए स्थान पर रखा जाएगा और बाद में उन्हें जंगलों में छोड़ा जाएगा।

इस बीच चीतों को भारत ले जा रहे विमान में कुछ बदलाव किए गए हैं ताकि उसकी मुख्य केबिन में पिंजरों को सुरक्षित रखा जाए। लेकिन उड़ान के दौरान पशु चिकित्सक चीतों पर पूरी तरह नजर रख सकेंगे। विमान को एक चीते की तस्वीर के साथ पेंट किया गया है। यह विशाल विमान 16 घंटे तक उड़ान भरने में सक्षम है और इसलिए ईंधन भरवाने के लिए कहीं रुके बिना नामीबिया से सीधे भारत जा सकता है।

चीतों को हवाई यात्रा के दौरान खाली पेट रहना होगा

भारतीय वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को बताया था कि चीतों को हवाई यात्रा के दौरान खाली पेट रहना होगा। लंबी दूरी की यात्रा में यह एहतियात बरतना आवश्यक है क्योंकि इससे पशुओं को मिचली जैसी दिक्कत हो सकती है, जिससे अन्य समस्याएं भी पैदा होने की आशंका है।

छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के साल वन में 1948 में आखिरी चीता दिखा था

गौरतलब है कि भारत सरकार ने 1952 में देश में चीतों को विलुप्त करार दे दिया था। छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के साल वन में 1948 में आखिरी चीता दिखा था। भारत ने 1970 के दशक से ही इस प्रजाति को फिर से देश में लाने के प्रयास शुरू कर दिए थे और इसी दिशा में उसने नामीबिया के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। नामीबिया ने भारत को आठ चीते दान में दिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने भी चीतों को पुनर्वास को इजाजत दे दी है

भारत सरकार वर्ष 2020 के बाद से चीतों के पुनर्वास के लिए काम कर रही है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने इजाजत दे दी है कि एक अलग उप-प्रजाति यानी अफ्रीकी चीतों को प्रयोगात्मक आधार पर ‘सावधानीपूर्वक चुने गए स्थान’ में बसाया जा सकता है।

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