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उत्तराखंड : चारधाम यात्रा में अब तक 62 श्रद्धालुओं की मौत, केदारनाथ में सर्वाधिक 30 ने तोड़ा दम

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देहरादून, 28 मई। उत्तराखंड चारधाम यात्रा शुरू होने के पहले 19 दिनों में 62 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है। उनमें सबसे ज्यादा 30 तीर्थयात्रियों की मौत केदारनाथ में हुई है। अधिकतर तीर्थयात्रियों की मौत हार्टअटैक और पल्मोनरी एडिमा (फेफड़ों के वायु कोशिकाओं में तरल पदार्थ की मात्रा अधिक होने) के कारण हुई है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र देहरादून की ओर से जारी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

उल्लेखनीय है कि चारधाम – बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री – उच्च हिमालयी क्षेत्रों में स्थित है, जहां पर ठंड के साथ ऑक्सीजन की कमी से सांस से संबंधित दिक्कतें आती हैं। 10 मई से शुरू हुई चारधाम यात्रा में 19 दिनों में हृदय गति रुकने, पल्मोनरी एडिमा, हाईपोथर्मिया (शरीर का तापमान कम होने पर हृदय गति रुक जाती है) और सिर पर गंभीर चोट से अब तक 62 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है। धामों में मृतकों की संख्या – केदारनाथ में 30, बदरीनाथ ने 16, यमुनोत्री में 13 और गंगोत्री में तीन है।

हृदय गति रुकने से हुईं ज्यादा मौतें, श्रद्धालुओं की नियमित की जा रही स्क्रीनिंग

राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष अब तक 12,27,545 तीर्थयात्री चारधाम यात्रा पर आ चुके हैं। इनमें से हृदय गति रुकने सहित अन्य कारणों से 62 तीर्थयात्रियों की मौत हुई है।

इस बीच रुद्रप्रयाग जनपद के प्रभारी सचिव और स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश ने बताया कि यात्रा मार्ग पर श्रद्धालुओं की नियमित स्क्रीनिंग की जा रही है। स्वास्थ्य जांच में जिन श्रद्धालुओं का स्वास्थ्य ठीक नहीं है, उन्हें डॉक्टर यात्रा न करने की सलाह दे रहे हैं। इसके बाद भी कोई यात्रा पर जा रहा है तो उनसे लिखित में फार्म भरवाने की कार्यवाही की जा रही है।

तीर्थयात्रियों को स्वास्थ्य विभाग की सलाह

स्वास्थ्य विभाग ने यात्रा पर आ रहे तीर्थयात्रियों को उच्च हिमालयी क्षेत्रों में स्वास्थ्य को लेकर एहतियात बरतने के निर्देश दिए हैं। इसमें केदारनाथ और यमुनोत्री धाम में पैदल चढ़ते समय प्रत्येक एक से दो घंटे के बाद पांच से 10 मिनट तक विश्राम करें। यात्रा के लिए गर्म कपड़े, बारिश से बचाव के लिए रेनकोट, छाता, स्वास्थ्य जांच के लिए पल्स ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर साथ रखें। हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, अस्थमा, मधुमेह से ग्रसित यात्री जरूरी दवा और डॉक्टर का नंबर पास रखें। यात्रा के दौरान सीने में दर्द, सांस की तकलीफ, चक्कर अथवा उल्टी आने पर नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या मेडिकल रिलीफ में प्राथमिक उपचार लें।

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