इंदौर, 8 अक्टूबर। इंदौर में ‘डिजिटल अरेस्ट’ के ताजा मामले में ठग गिरोह ने 65 वर्षीया महिला को जाल में फंसाकर उससे 46 लाख रुपये ठग लिये। पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी। ‘डिजिटल अरेस्ट’ साइबर ठगी का नया तरीका है। ऐसे मामलों में ठग खुद को कानून प्रवर्तन अधिकारी बताकर लोगों को ऑडियो या वीडियो कॉल करके डराते हैं और उन्हें गिरफ्तारी का झांसा देकर उनके ही घर में डिजिटल तौर पर बंधक बना लेते हैं।
अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त राजेश दंडोतिया ने बताया कि ठग गिरोह के एक सदस्य ने 65 वर्षीय महिला को पिछले माह फोन किया और खुद को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारी बताया। उन्होंने बताया, ‘‘ठग गिरोह के सदस्य ने महिला को झांसा दिया कि नशीले पदार्थों की खरीद-फरोख्त, आतंकी गतिविधियों और धन शोधन के लिए एक व्यक्ति ने उसके बैंक खाते का दुरुपयोग किया है और इस शख्स से मिलीभगत के चलते महिला के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है।’’
दंडोतिया ने बताया कि ठग गिरोह के सदस्य ने वीडियो कॉल के जरिये महिला को ‘डिजिटल अरेस्ट’ कर लिया और पांच दिन तक उससे फर्जी पूछताछ की। अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त ने बताया कि इस पूछताछ के दौरान महिला को धमकी दी गई कि अगर उसने अपने बैंक खाते में जमा रकम गिरोह के बताए खातों में नहीं भेजी, तो उसे और उसकी संतानों को जान का खतरा हो सकता है।
उन्होंने बताया कि इस धमकी से घबराई महिला ने कुल 46 लाख रुपये गिरोह के बताए अलग-अलग बैंक खातों में दो किस्तों में भेज दिए। अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त ने बताया कि ठगी का अहसास होने पर महिला ने राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल और पुलिस को शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि पुलिस इस शिकायत पर भारतीय न्याय संहिता की प्रासंगिक धाराओं में मामला दर्ज करके जांच में जुटी है।