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उज्बेकी स्वास्थ्य मंत्रालय का दावा – मेड इन इंडिया सिरप पीने से उज्बेकिस्तान में 18 बच्चों की मौत

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नई दिल्ली, 28 दिसम्बर। उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने दावा किया है कि एक भारतीय दवा कम्पनी द्वारा निर्मित दवाओं का सेवन करने के बाद देश में कम से कम 18 बच्चों की जान चली गई है। विचाराधीन कम्पनी मैरियन बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड है, जिसे 2012 में उज्बेकिस्तान में पंजीकृत किया गया था।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि मरने वाले बच्चों ने नोएडा स्थित मैरियन बायोटेक द्वारा निर्मित डॉक-1 मैक्स सिरप का सेवन किया था। मंत्रालय ने कहा कि अब तक सांस की गंभीर बीमारी वाले 21 में से 18 बच्चों की मौत डॉक-1 मैक्स सिरप लेने के कारण हुई है।

मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘यह पाया गया कि मृत बच्चों ने अस्पताल में भर्ती होने से पहले घर पर 2-7 दिनों के लिए दिन में 3-4 बार, 2।5-5 मिली, जो बच्चों के लिए दवा की मानक खुराक से अधिक है, इस दवा को लिया। चूंकि दवा का मुख्य घटक पैरासिटामॉल है, डॉक-1 मैक्स सिरप को गलत तरीके से माता-पिता द्वारा अपने दम पर या फार्मेसी विक्रेताओं की सिफारिश पर ठंड-विरोधी उपाय के रूप में इस्तेमाल किया गया था और ये मरीजों की हालत बिगड़ने का कारण था।’

प्रारंभिक प्रयोगशाला अध्ययनों से पता चला है कि डॉक-1 मैक्स सिरप की इस श्रृंखला में एथिलीन ग्लाइकॉल होता है। मंत्रालय ने कहा, ‘यह पदार्थ विषैला होता है और 95 फीसदी केंद्रित घोल का लगभग 1-2 मिली/किग्रा रोगी के स्वास्थ्य में गंभीर परिवर्तन कर सकता है, जैसे कि उल्टी, बेहोशी, आक्षेप, हृदय संबंधी समस्याएं और तीव्र गुर्दे की विफलता।’ कुल 7 जिम्मेदार कर्मचारियों को उनके कर्तव्यों के प्रति लापरवाह और असावधान होने के कारण उनके पदों से बर्खास्त कर दिया गया और कई विशेषज्ञों पर अनुशासनात्मक उपाय भी लागू किए गए थे।

वर्तमान में डॉक-1 मैक्स दवा के टैबलेट और सिरप को निर्धारित तरीके से देश के सभी फार्मेसियों में बिक्री से वापस ले लिया गया है। मंत्रालय ने माता-पिता से भी कहा है कि वे अपने बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति चौकस रहें और फार्मेसियों से केवल डॉक्टर के पर्चे पर ही दवाएं खरीदें।