जिनेवा, 24 मार्च। यूक्रेन में मानवाधिकार संकट को लेकर रूस द्वारा लाए गए एक मसौदा प्रस्ताव से भारत सहित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के 13 देश अनुपस्थित रहे। लेकिन चीन ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया। इस प्रस्ताव में यूक्रेन की बढ़ती मानवीय जरूरतों को तो स्वीकार किया गया था, लेकिन रूसी आक्रमण का कोई उल्लेख नहीं था।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पास नहीं हो सका प्रस्ताव
रूस की ओर से लाया गया यह मसौदा प्रस्ताव सीरिया, उत्तर कोरिया और बेलारूस ने सहप्रायोजित किया था। हालंकि यूएनएससी में यह प्रस्ताव पास नहीं हो सका क्योंकि उसे इसके लिए आवश्यक नौ वोट नहीं मिल सके। रूस और चीन ने इस प्रस्ताव के पक्ष में वोटिंग की जबकि किसी भी देश ने प्रस्ताव के खिलाफ वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। वहीं, भारत सहित सुरक्षा परिषद के अन्य सदस्य अनुपस्थित रहे।
रूसी मसौदा प्रस्ताव में यूक्रेन संकट पर बातचीत का आह्वान
स्थायी और वीटो सदस्य रूस ने अपने मसौदा प्रस्ताव पर 15 देशों वाले सुरक्षा परिषद में एक वोट का आह्वान किया था, जिसमें मानवीय कर्मियों और महिलाओं और बच्चों सहित कमजोर परिस्थितियों में व्यक्तियों सहित नागरिकों को पूरी तरह से संरक्षित किए जाने की मांग के साथ बातचीत का आह्वान किया गया है।
इसके साथ ही प्रस्ताव नागरिकों की सुरक्षित, तीव्र, स्वैच्छिक और निर्बाध निकासी को सक्षम करने के लिए संघर्ष विराम, और संबंधित पक्षों को इस उद्देश्य के लिए मानवीय ठहराव पर सहमत होने की आवश्यकता को रेखांकित करता है। सुरक्षा परिषद में रूसी प्रस्ताव यूक्रेन में मानवीय स्थिति पर तीन प्रस्तावों में से एक था, जिसे बुधवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद के समक्ष रखा गया था।
संयुक्त राष्ट्र महासभा का 11वां आपातकालीन सत्र शुरू
यूक्रेन पर संयुक्त राष्ट्र महासभा का 11वां आपातकालीन सत्र बुधवार को आरंभ हुआ और इसके समक्ष दो प्रस्ताव विचाराधीन हैं। 193 सदस्यीय महासभा के गुरुवार को मतदान करने की संभावना है। महासभा ने गत दो मार्च को सत्र सम्पन्न होने से पहले यूक्रेन की संप्रभुता, स्वतंत्रता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने के लिए मतदान किया था और यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता की कड़ी निंदा की थी।
भारत तथा 34 अन्य देशों ने इस प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया था। प्रस्ताव को 141 मतों से पारित किया गया था जबकि इसके खिलाफ पांच सदस्य देशों ने वोट दिया था। प्रस्ताव में रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष का राजनीतिक वार्ता, मध्यस्थता और अन्य शांतिपूर्ण तरीकों से तत्काल शांतिपूर्ण समाधान का आग्रह किया गया है।