पटना, 13 अगस्त। बिहार में नवगठित महागठबंधन सरकार के सामने असमंजस की स्थिति बनती दिखाई दे रही है क्योंकि कांग्रेस की भूमिका की बात आते ही पार्टी के 19 में से 12 विधायकों ने प्रदेश अध्यक्ष से लेकर प्रभारी मंत्री तक अपनी दावेदारी पेश कर दी है।
हालांकि वास्तविकता यह है कि संख्याबल के हिसाब से नई सरकार में कांग्रेस के हिस्से में तीन से चार मंत्री पद जा सकते हैं। फिलहाल कांग्रेस के विधायकों ने मंत्री पद के लिए दावेदारी बिहार प्रभारी भक्त चरण दास, प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर मदन मोहन झा से लेकर आलाकमान तक पेश की है।
15 अगस्त के बाद होगा मंत्रिमंडल विस्तार
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 15 अगस्त के बाद कभी भी मंत्रिमंडल विस्तार की बात पहले ही कह चुके हैं। मुख्यमंत्री की इस घोषणा के साथ ही महागठबंधन के दूसरे सहयोगी अपने-अपने कोटे के मंत्रियों का नाम फाइनल करने में लग गए हैं।
कांग्रेस के जिन विधायकों ने दावेदारी पेश की है, उनमें राजापाकड़ से प्रतिमा दास तो बक्सर से मुन्ना तिवारी, करगहर से संजीव मिश्र, खगड़िया से छत्रपति यादव, अररिया से अब्दुल रहमान के नाम प्रमुख तौर पर शामिल हैं। इनके अलावा दो विधान पार्षद भी मंत्री पद की दौड़ में शामिल हो गए हैं। लगभग एक दर्जन दावेदारों के खड़ा होने से पार्टी में असमंजस की स्थिति बन गई है।
इस बीच तेजस्वी यादव से मिलने के बाद कांग्रेस के बिहार प्रभारी भक्त चरण दास ने लालू यादव से भी मुलाकात की है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में बनी महागठबंधन की सरकार में हिस्सेदारी को लेकर बातचीत हुई है और उसके मंत्रियों की संख्या सम्मानजनक होगी।
राजद कोटे के मंत्रियों के नाम लालू यादव तय करेंगे
वहीं, तेजस्वी यादव विधायकों की सूची लेकर लालू यादव के पास दिल्ली भी पहुंच चुके हैं। माना जा रहा है कि लालू यादव के द्वारा तय नामों को ही मंत्री बनाया जाएगा। लेकिन सबसे बड़ी समस्या कांग्रेस के सामने है, जहां मंत्री पद के दावेदारों की संख्या सबसे ज्यादा है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता शकील अहमद बोले – सभी घटक दलों के नेता फैसला करेंगे
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शकील अहमद की राय है कि सरकार में उनकी पार्टी के मंत्रियों की संख्या पांच तक होनी चाहिए। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि सभी घटक दलों के नेता इस बारे में फैसला करेंगे। अहमद ने कहा, ‘हम कांग्रेस के नेता हैं, इसलिए चाहते हैं कि हमारी पार्टी को ज्यादा से ज्यादा मंत्री पद मिले। लेकिन जब पार्टियों के नेता बातचीत के लिए बैठते हैं तो कई बिंदुओं को देखकर फैसला होता है। हमें लगता है कि पांच मंत्री पद मिलने चाहिए, लेकिन यह घटक दलों के नेता तय करेंगे।’