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हिमाचल प्रदेश में अनाथ बच्चों के लिए 101 करोड़ का फंड, सीएम सुक्खू का एलान – कांग्रेस विधायक देंगे पहली सैलरी

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शिमला, 1 जनवरी। हिमाचल प्रदेश सरकार ने अनाथ बच्चों के लिए 101 करोड़ रुपये का फंड बनाया है। यह पहली जनवरी यानी आज से प्रभावी होगा। हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा, ‘यह फंड सूबे के अनाथ बच्चों की शिक्षा एवं अन्य जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगा। कांग्रेस के सभी विधायकों ने इस फंड के लिए अपना पहला वेतन देने का फैसला किया है। मैं भाजपा विधायकों से भी इसमें योगदान करने की गुजारिश करता हूं।’

सूबे में करीब 6 हजार बच्चे अनाथालयों में पल-बढ़ रहे

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सूबे में करीब छह हजार बच्चे अनाथालयों में पल-बढ़ रहे हैं। प्रदेश सरकार 12वीं तक तो इन बच्चों को सहारा देती है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा, ‘कोई बच्चा यदि आगे पढ़ना चाहता है तो उसके मन में किसी भी तरह शंका नहीं होनी चाहिए। बच्चा यदि पढ़ाई या कोई अन्य कोर्स करना चाहता हो तो उसे निराश नहीं किया जाएगा। इसके लिए हमने एक कोष बनाने का फैसला किया है।’

मुख्यमंत्री सुखाश्रय कोषमें भाजपा विधायकों से भी मदद की सुक्खू की अपील

सीएम सुक्खू ने कहा, “इस कोष का नाम ‘मुख्यमंत्री सुखाश्रय कोष’ होगा। इसमें 101 करोड़ के बजट का तुरंत प्रावाधान होगा। कांग्रेस के सभी विधायक अपनी पहली सेलरी से एक लाख रुपये इस कोष में दान करेंगे। भाजपा विधायकों से भी इसमें मदद करने की अपील है।”

मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चे किसी की दया पर निर्भर नहीं होंगे। इस फंड की नोडल एजेंसी सामाजिक कल्याण विभाग होगा। इस फंड को मेडिकल कॉलेज, इंजीनयरिंग कॉलेज आदि संस्थानों में भी पढ़ाई कर रहे छात्रों पर भी खर्च किया जाएगा। इस फंड को एकल नारियों की मदद के लिए भी खर्च किया जाएगा। हिमाचल में काग्रेस की सरकार बनने के बाद सुक्खू कैबिनेट का यह पहला बड़ा कदम है।

पीएम गति शक्ति योजना के तहत मिला 42 करोड़ रुपये का अनुदान

सीएम सुक्खू ने यह भी बताया कि हिमाचल प्रदेश को एक ‘मल्टी-मॉडल’ संपर्क परियोजना के लिए पीएम गति शक्ति योजना के तहत 42 करोड़ रुपये का अनुदान मिला है। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश को ‘पूंजीगत निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता योजना 2022-23’ के तहत 42 करोड़ रुपये राशि प्रदान की गई है। यह मदद राज्य में औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा देने में काफी मददगार साबित होगी। राज्य सरकार ने रसद, संपर्क और औद्योगिक विकास को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय सहायता के लिए 84 करोड़ रुपये के कुल खर्च के साथ चार परियाजनाएं भेजी थीं।

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