लखनऊ, 16 फरवरी। समाजवादी पार्टी (सपा) विधायक अब्दुल्ला आजम खां उत्तर प्रदेश के 7वें ऐसे विधायक हैं, जिन्हें सजा मिलने के चलते अपनी विधायकी गंवानी पड़ी है। इसके अलावा एक राज्यसभा सदस्य की भी सदस्यता चली गई थी। बता दें कि अब्दुल्ला आजम एक ऐसे नेता हैं जिन्हें 17वीं व 18वीं दोनों विधानसभा में अपनी सदस्यता गंवानी पड़ी है।
18वीं विधानसभा में अब्दुला के पिता मो. आजम खां रामपुर सीट से हेट स्पीच के मामले में व भाजपा विधायक विक्रम सिंह सैनी मुजफ्फरनगर दंगे में सजा होने के कारण खतौली सीट से अपनी विधायकी गंवा चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट के 10 जुलाई 2013 के निर्णय के अनुसार अगर कोई विधायक, सांसद या विधान परिषद सदस्य किसी भी अपराध में दोषी पाए जाते हैं और उन्हें कम से कम दो वर्ष की सजा होती है तो ऐसे में वह तुरंत सदस्यता से अयोग्य हो जाएंगे। इसी के तहत अब तक सात नेता अपनी विधायकी खो चुके हैं।
17वीं विधानसभा में भी हमीरपुर के भाजपा विधायक अशोक चंदेल, उन्नाव के बांगरमऊ से विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और गोसाईंगंज के विधायक इन्द्र प्रताप तिवारी खब्बू तिवारी की भी विधानसभा की सदस्यता सजा मिलने के बाद खत्म हो चुकी है। कुलदीप सिंह सेंगर को दुष्कर्म के मामले में उम्रकैद की सजा मिलने के बाद उनकी सदस्यता रद हुई थी जबकि हमीरपुर से भाजपा विधायक अशोक सिंह चंदेल की सदस्यता हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा मिलने पर खत्म हुई थी।
खब्बू तिवारी की सदस्यता फर्जी मार्कशीट मामले में अक्टूबर 2019 में पांच साल की सजा मिलने के बाद रद हुई थी।इनके अलावा एमबीबीएस सीट घोटाले में कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य काजी रशीद मसूद की सदस्यता चली गई थी। कांग्रेस ने उन्हें उत्तर प्रदेश से राज्यसभा में भेजा था। वर्ष 2013 में कोर्ट ने उन्हें चार साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद उनकी राज्यसभा की सदस्यता खत्म हो गई थी।