लखनऊ, 30 मई। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की चुनावी रणनीति की खुल कर तारीफ की है। इसके साथ ही वह विपक्षी दलों को नसीहत देना भी नहीं भूले।
भाजपा 24 घंटे चुनावी मोड में रहती है
सुभासपा अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा 24 घंटे चुनावी मोड में रहती है। चुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत लगा देती है। अपनी इसी रणनीति के कारण प्रदेश में भाजपा फिर सत्ता पाने में कामयाब रही है। उन्होंने विपक्षी दलों को कहा कि चुनाव हारते ही इनके तेवर ठंडे हो जाते हैं। वे जनता के बीच नहीं दिखाई देते और आगे चलकर इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है।
ओपी राजभर ने रविवार को कहा कि भाजपा ने 37 साल बाद लगातार दूसरी बार सत्ता में आने का कमाल यूं ही नहीं दिखाया है। भाजपा चुनावों को लेकर लगातार मेहनत करती रहती है और इसी कारण उसको यह बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। उन्होंने कहा कि चाहे भाजपा के सबसे बड़े नेता हों या पार्टी के अन्य दूसरे नेता, सभी चुनाव को लेकर काफी मेहनत करते हैं। भाजपा 24 घंटे चुनावी मोड में ही दिखती है।
राजभर ने बीते शनिवार को मुख्यमंत्री योगी के उत्तराखंड दौरे का जिक्र करते हुए कहा कि विधानसभा का सत्र चलने के बावजूद मुख्यमंत्री योगी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को चुनाव जिताने के लिए उत्तराखंड के राजनीतिक अखाड़े में कूद पड़े।
भाजपा को छोड़कर अन्य सभी दलों के नेता चुनाव बाद आराम फरमाने लगते हैं
सुभासपा प्रमुख ने कहा कि प्रदेश में सपा, बसपा, कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों के भाजपा के सामने पिछड़ने का ठोस कारण है। इन सभी दलों के नेताओं की चुनाव के बाद कोई सक्रियता नहीं दिखती। भाजपा को छोड़कर अन्य सभी दलों के नेता चुनाव के बाद आराम फरमाने लगते हैं।
उन्होंने प्रदेश में सपा, बसपा और कांग्रेस की ताकत के दिनों की याद दिलाते हुए कहा कि प्रदेश में एक वह भी दौर था जब कांग्रेस को बड़ी ताकत माना जाता था और कांग्रेस का टिकट मिलने पर जीतने की गारंटी तय मानी जाती थी। कांग्रेस के कमजोर पड़ने के बाद सपा और बसपा ने प्रदेश में अपनी ताकत दिखाई, मगर मौजूदा समय में भाजपा सब पर भारी पड़ती दिख रही है।
पार्टी को यह बड़ी कामयाबी अनायास से ही नहीं मिली है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि पार्टी नेता हमेशा चुनावी मोड में दिखते हैं और पार्टी के लिए पूरी मेहनत करते हैं। दूसरी पार्टियों को भी यह सच्चाई स्वीकार करनी होगी कि चुनाव के बाद सो जाने से काम नहीं चलने वाला। चुनाव में अपनी ताकत दिखाने के लिए जनता के मुद्दों को लेकर लड़ाई लड़नी ही होगी।